-:15 अगस्त 1945:-
जापान के आत्मसमर्पण के
बाद विशेष आदेश
"कामरेड, अपनी
मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए हमारे संघर्ष में, आज हम एक
अप्रत्याशित संकट से अचम्भित रह गये हैं। आपको शायद यह लग रहा है कि आप भारत को
मुक्त कराने के अपने अभियान में विफल हो गये हैं। लेकिन मैं आपको बता दूँ कि यह विफलता
अस्थायी है। आपने अतीत में जो सकारात्मक उपलब्धियाँ हासिल की हैं, उन्हें कोई भी
हार जाया नहीं कर सकती। आप में से बहुतों ने भारत-बर्मा सीमा पर तथा भारत के अन्दर
भी लड़ाईयों में भाग लिया है और हर प्रकार की कठिनाईयों एवं तकलीफों को सहा है। आपके
बहुत से साथियों ने युद्ध के मैदान पर वीरगति पायी है और वे आजाद हिंद के अमर नायक
बन गये हैं। यह महान बलिदान व्यर्थ नहीं जा सकता।
"कामरेड, अन्धकार
की इस घड़ी में मैं आपसे एक सच्चे क्रान्तिकारी सेना के अनुरुप अनुशासन, गरिमा
और शक्ति से युक्त आचरण की आशा रखता हूँ। युद्ध के मैदान में आप पहले ही अपनी
वीरता एवं आत्म-बलिदान का सबूत दे चुके हैं। सामयिक विफलता की इस घड़ी में अब आपका
फर्ज बनता है कि आप अपनी शाश्वत आशावाद एवं दृढ़ इच्छा-शक्ति का प्रदर्शन करें। जितना
कि मैं आपको जानता हूँ, मुझे रत्ती भर भी सन्देह नहीं है कि इस भयानक विपत्ती में
आप अपने सर को उठाकर रखेंगे और अनन्त आशा एवं आत्मविश्वास के साथ आनेवाले समय का सामना
करेंगे।
"कामरेड, मैं महसूस करता हूँ कि संकट
की इस घड़ी में, घर में हमारे अड़तीस करोड़ देशवासी
हमारी ओर ही- भारत की आजादी के सेना के सदस्यों की ओर- देख रहे हैं। इसलिए, भारत
के प्रति सच्चे बने रहिये और एक पल के लिए भी भारत की नियति के प्रति अपने विश्वास
को डगमगाने मत दीजिये। दिल्ली जाने के और भी बहुत से रास्ते हैं और दिल्ली
अब भी हमारा लक्ष्य है। खुद आपके और आपके अमर-शहीद साथियों के बलिदान निश्चित रूप
से अपने उद्देश्य को पाने में सफल होंगे। धरती पर ऐसी कोई ताकत नहीं है, जो भारत
को गुलाम रख सके। भारत आजाद होगा, और बहुत जल्द होगा।"
देश देखता राह तुम्हारी ,, आगे आओ .! आगे आओ .!! ...कौन हिन्दू .? . ..कैसा . मुसलमान?? . ...हम जाने बस " हिंदुस्तान" .!!! ................ ........जयहिंद .!!!!!!!!!!!!!!!
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